घर किसे कहते है !!!

” न विप्रपादोदक कर्दमेन , न वेद शास्त्रा ध्वनि गर्जितानी। स्वहा स्वधा कार विवर्जितानी श्मशान तुल्यानी गृहाणी तानी। “

अर्थात :- जिस घर में कभी व्राह्मणो , संतो के चर न पड़े हों , जिस घर में कभी वेद शास्त्रो का वाचन न हुआ हो जिस घर ने पूजा , हवन (स्वहा ) तथा अपने पितृयों का (स्वधा) तर्पण न हुआ हो वो घर कितने भी विशाल हो वो केवल शमशान के सामान है “.